विधेयक संविधान की मूल संरचना पर आघात- कांग्रेस
वन नेशन, वन इलेक्शन का प्रावधान करने के लिए लाए गए संविधान संशोधन का कांग्रेस ने विराेध किया कांग्रेस की ओर से मनीष तिवारी ने कहा कि संविधान (129वां संशोधन) बिल और केंद्र शासित प्रदेश कानून संशोधन विधेयक संविधान की सातवीं अनुसूची और उसके बेसिक संरचना के खिलाफ है. संविधान की कुछ विशेषताएं हैं जो संसद के संशोधन के अधिकार से भी परे हैं. उन्होंने संघवाद का जिक्र करते हुए विधेयक को संविधान की मूल संरचना पर आघात पहुंचाने वाला बिल बताया है.
मनीष तिवारी के बाद कांग्रेस की ओर से लोकसभा में विपक्ष के उपनेता गौरव गोगोई ने बिल का असंवैधानिक बताते हुए कहा कि पहली बार ये ऐसा कानून लाया गया हैं जिसमें राष्ट्रपति चुनाव आयोग से भी परामर्श लेंगे. इसका हम विरोध करते हैं. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को इतने ही अधिकार दिए गए हैं कि कैसे सुपरवाइज करना है, कैसे मतदाता सूची बनानी है. राष्ट्रपति कभी भी परामर्श लेते हैं तो वे कैबिनेट से परामर्श लेते हैं और कभी कभी गवर्नर से. इस बिल में चुनाव आयोग से परामर्श की बात है जो असंवैधानिक है.
सपा ने बीजेपी पर कसा तंज
बिल को लेकर समाजवादी पार्टी ने बीजेपी पर निशाना साधा है. दो दिन पहले लोकसभा में हुए संविधान पे चर्चा का जिक्र कर बीजेपी तंज कसा है. समाजवादी पार्टी की ओर से यूपी के आजमगढ़ से सासंद धर्मेंद्र यादव ने कहा कि अभी दो दिन पहले इसी सदन में संविधान को बचाने की कसमें खाने में कोई कसर नहीं रखी गई लेकिन दो ही दिन में संविधान बदला जा रहा है.
यह फेडरलिज्म पर आघात – शिवसेना, एमआईएमआईएम
शिवसेना (यूबीटी) के सांसद अनिल देसाई ने इस बिल का विरोध करते हुए कहा कि भारत गणराज्य राज्यों का यूनियन है. यह बिल फेडरलिज्म पर आघात है. एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने इस बिल को संविधान का उल्लंघन बताते हुए कहा कि यह पार्लियामेंट्री डेमोक्रेसी का उल्लंघन है, फेडरलिज्म का भी उल्लंघन है. यह बिल सीधे प्रेसीडेंशियल स्टाइल डेमोक्रेसी के लिए लाया गया है. यह सबसे बड़े नेता के ईगो के तहत आया है. हम इसका विरोध करते हैं.
तानाशाही लागू करने वाला कानून- लेफ्ट
वहीं लेफ्ट ने इस बिल को तानाशाही लागू करने वाला काननू बताया है. राजस्थान के सीकर से लेफ्ट के सांसद अमराराम ने कहा कि यह बिल संविधान और लोकतंत्र को खत्म करके तानाशाही की ओर बढ़ने का प्रयास है. लोकल बॉडी स्टेट गवर्नमेंट का है, इसको भी आप लेना चाहते हैं. इसलिए क्योंकि एक आपका ही चलेगा.
डीएमके और टीएमसी ने भी किया विरोध
डीएमके सांसद टीआर बालू ने इस बिल को संविधान विरोधी बताते हुए इसे संसद में लाए जाने पर ही सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि जब सरकार के पास दो तिहाई बहुमत नहीं है, तब उसे किस तरह से ये बिल लाने की अनुमति दी गई. इसके अलावा टीएमसी ने भी इस बिल का विरोध किया है. टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने बिल को संविधान के लिए अल्ट्रा वायरस कहा है.
शिवसेना-टीडीपी सहित एनडीए घटक दलों ने बिल का किया समर्थन
एनडीए घटक दलों ने इस बिल का समर्थन किया है. शिवसेना (शिंदे) और तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने बिल के समर्थन में उतरे. शिवसेना (शिंदे) के श्रीकांत शिंदे ने वन नेशन, वन इलेक्शन बिल का समर्थन करते हुए कहा कि कांग्रेस को रिफॉर्म शब्द से ही नफरत है. इस पर विपक्ष की ओर से जबरदस्त हंगामा शुरू हो गया. वहीं, टीडीपी की ओर से केंद्रीय मंत्री चंद्रशेखर पेम्मासानी ने बिना किसी शर्त के बिल का समर्थन करने की बात कही.
पीएम ने भी किया जेपीसी में भेजने का समर्थन
सदन में चर्चा के दौरान अमित शाह ने यह जानकारी दी की पीएम मोदी भी इस बिल को जेपीसी में भेजने के समर्थन में है. उन्होंने कहा कि जब ये बिल कैबिनेट में आया था, तब खुद प्रधानमंत्री ने कहा था कि इसे जेपीसी को दे देना चाहिए और विस्तृत स्क्रूटनी होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि ज्यादा समय जाया किए बगैर मंत्री जी जेपीसी को भेजने के लिए तैयार हो जाते हैं तो यहीं ये चर्चा समाप्त हो जाएगी.
32 दल बिल के समर्थन में 15 ने जताया विरोध
एक देश-एक चुनाव पर 32 राजनीतिक दलों ने बिल को समर्थन दिया है. इनमें जगन मोहन रेड्डी की YSRCP, के चंद्रशेखर राव की (BRS) और पलानीसामी की AIADMK जैसी पार्टियां शामिल हैं. वहीं कांग्रेस सहित 15 पार्टियों ने इसका विरोध किया है।