CGMSC गड़बड़ी: रायपुर-दुर्ग समेत हरियाणा के दर्जनभर से अधिक ठिकानों पर ACB-EOW ने मारा छापा, कई अहम दस्तावेज किए बरामद

रायपुर। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज़ कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CGMSC) में हुई गड़बड़ी के मामले में सोमवार को ACB (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) और EOW (आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो) की टीम ने गवर्नमेंट सप्लायर मोक्षित कॉर्पोरेशन के दुर्ग के गंजपारा स्थित कार्यालय में दबिश दी। इसके अलावा मामले से जुड़े अन्य आरोपियों के राजधानी रायपुर और हरियाणा के दर्जन भर से अधिक ठिकानों पर रेड की कार्रवाई की। इस कार्रवाई के दौरान ACB और EOW को प्रकरण के संबंध में महत्वपूर्ण दस्तावेज, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, कई बैंक अकाउंट और निवेश से संबंधित दस्तावेज प्राप्त हुए हैं, जिनका विश्लेषण कर अग्रिम वैधानिक कार्रवाई की जा रही है।

बता दें कि छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड रायपुर के अधिकारियों और संचालनालय स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक षडयंत्र का मामला दर्ज किया गया है। आरोप है कि इन अधिकारियों ने गंज पारा दुर्ग, सीबी कॉरपोरेशन दुर्ग, रिकार्डर्स और मेडिकेयर सिस्टम, हरियाणा स्थित एचएसआईआईडीसी और श्री शारदा इंडस्ट्रीज के साथ मिलकर स्वास्थ्य विभाग में उपयोग होने वाली रीएजेंट और मशीनों की बाजार मूल्य से अधिक कीमत पर बिक्री की, जिससे शासन को भारी आर्थिक क्षति हुई। इस मामले में आरोपियों के खिलाफ ACB में 22 जनवरी 2025 को धारा-409, 120बी भादवि, और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।

कार्रवाई के लिए 3 गाड़ियों में ACB के 10 से अधिक अधिकारी पहुंचे

गवर्नमेंट दवा सप्लायर एजेंसी मोक्षित कॉर्पोरेशन के दुर्ग के गंजपारा स्थित कार्यालय में आज सुबह 3 गाड़ियों में ACB के 10 से अधिक अधिकारी पहुंचे थे। कार्रवाई के दौरान किसी को भी अंदर या बाहर नहीं जाने दिया गया और ऑफिस के बाहर पुलिस बल को तैनात किया गया था।

दो साल के ऑडिट में खुली थी पोल

लेखा परीक्षा की टीम की ओर से CGMSC की सप्लाई दवा और उपकरण को लेकर वित्त वर्ष 2022-24 और 2023-24 के दस्तावेज को खंगाला गया तो कंपनी ने बिना बजट आवंटन के 660 करोड़ रुपये की खरीदी की थी, जिसे ऑडिट टीम ने पकड़ लिया था। ऑडिट में पाया गया है कि पिछले दो सालों में आवश्यकता से ज्यादा खरीदी गए केमिकल और उपकरण को खपाने के चक्कर में नियम कानून को भी दरकिनार किया गया। जिस हॉस्पिटल में जिस केमिकल और मशीन की जरूरत नहीं वहां भी सप्लाई कर दिया गया। प्रदेश के 776 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों को सप्लाई की गई, जिनमें से 350 से अधिक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र ऐसे हैं, जिसमें कोई तकनीकी, जनशक्ति और भंडारण सुविधा उपलब्ध ही नहीं थी। ऑडिट टीम के अनुसार DHS ने स्वास्थ्य देखभाल की सुविधाओं में बेसलाइन सर्वेक्षण और अंतर विश्लेषण किए बिना ही उपकरणों और रीएजेंट मांग पत्र जारी किया था।

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