प्रवासी भारतीय दिवस : विदेश में रहने वाले छत्तीसगढ़ियों ने अपनी विशिष्ट पहचान बनाई: डॉ. रमन सिंह

रायपुर। देश और पूरी दुनिया के विकास में प्रवासी भारतीयों की महत्वपूर्ण भूमिका है. छत्तीसगढ़ के लोगों ने भी जो देश से बाहर रहते हैं, अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है. उन्होंने खुद तो उन्नति प्राप्त की ही है. उस देश के विकास के लिए उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान भी दिया है, जहां वे रहते हैं. यह बात विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने 18वें प्रवासी भारतीय दिवस के अवसर पर प्रवासी छत्तीसगढ़िया मंच रायपुर की ओर से आयोजित कार्यक्रम में कही.

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. रमन सिंह ने कहा कि इस दिवस को मनाने की शुरुआत स्वर्गीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के कार्यकाल में की गई थी. इस संदर्भ में बाजपेयी ने कहा था कि 9 जनवरी को महात्मा गांधी 21 साल बाद उस दिन भारत वापस आए थे. उन्होंने कहा कि प्रवासी छत्तीसगढ़िया असमवासी रामेश्वर तेली जो राज्यसभा के सदस्य हैं. उन्होंने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास का स्मरण किया और उनको एक सफल प्रवासी छत्तीसगढ़िया के रूप में संबोधित किया.

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए रविशंकर विवि के पूर्व कुलपति प्रोफेसर एसके पांडे ने कहा कि भारतीयों ने विदेश में जाकर अपने वैज्ञानिक शोध से नोबेल पुरस्कार भी प्राप्त किया और जो लोग वहां से यहां आ गए, उन्होंने अपने ज्ञान के आधार पर उत्कृष्ट विद्यार्थी देश को दिए.

संस्कृति विशेषज्ञ एवं प्रवासी अध्येता अशोक तिवारी ने कहा कि कलीयाद में प्रवासियों पर अकादमिक अध्ययन और उनसे सांस्कृतिक विनिमय की आवश्यकता है. हम लोगों ने अभी राज्य में अपने प्रवासियों की पहचान तक नहीं की है, जबकि देश के लगभग सभी राज्यों में उन राज्यों के प्रवासियों पर अध्ययन हेतु विश्वविद्यालय में अध्यापन होता है.

कार्यक्रम के दौरान अशोक तिवारी और आशीष सिंह द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘प्रवासी छत्तीसगढ़िया, असम के विशेष संदर्भ में’ का लोकार्पण डॉ. रमन सिंह ने किया. इस अवसर पर दामोदर प्रसाद मिश्र, डॉ. परदेसी राम वर्मा, बलदाऊ प्रसाद साहू, पद्मश्री डॉ. राधेश्याम बारले, पद्मश्री उषा बारले, स्मिता अखिलेश, संजीव तिवारी और आशीष सिंह आदि मौजूद थे।

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