रायपुर।  प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था की नींव संभालने वाले राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कर्मचारी बहुतायत जिलों में वेतन को तरस रहे हैं। त्यौहार और शादियों के सीजन में कर्मचारियों की खाली जेब ने उन्हें न केवल परेशान कर रखा है बल्कि रोजमर्रा के खर्चों को लेकर भी चिंता बढ़ा दी है। जानकारी के मुताबिक 25 जिलों रायगढ़, कोंडागांव,सारंगढ़-बिलाईगढ़, बालोद, सूरजपुर, कोरिया, कबीरधाम, गरियाबंद, कोरबा, मुंगेली, जशपुर, दुर्ग, कांकेर, मनेन्द्रगढ़, चिरमिरी, गौरेला पेंड्रा मरवाही, राजनांदगांव समेत अन्य जिलों में एनएचएम कर्मचारियों को दो माह से वेतन नहीं मिला है और राज्य कार्यालय के स्टाफ को वेतन जारी हो गया है. छग प्रदेश एनएचएम कर्मचारी संघ ने मिशन संचालक को ज्ञापन सौंपकर जल्द वेतन का भुगतान करने की मांग की है. परेशान कर्मचारियों ने बताया कि, संविदा की नौकरी जिसमें अल्प वेतन में कार्य कर रहे है और बचत इस महंगाई में कर नहीं सकते. आजकल कई कर्मचारियों के लोन होते हैं, घर का किराया, बच्चों की फीस, बड़े बुजुर्गों की दवाई का खर्च भी रहता है. ऐसे में समय पर वेतन न मिलना कर्मचारियों में निराशा पैदा कर रहा है. स्थिति यह हो गई है कि रोजमर्रा के खर्चों को संभालने भी उधार लेने की नौबत आ रही है. इसे लेकर कमर्चारियों में बहुत आक्रोश है. उनका कहना है कि नई बीजेपी सरकार से संविदा से मुक्ति के लिए कुछ प्रयास की आशा थी पर यहां तो समय पर वेतन मिलना मुश्किल हो गया है. मोदी की गारंटी तो पूरी होती नहीं दिखती अलबत्ता दैनिक जीवन जरूर प्रभावित हो रहा है. मिशन संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला से कर्मचारियों को उम्मीद कर्मचारियों ने कहा, यही हाल रहा तो आंदोलन करने मजबूर होंगे. अभी हाल ही में मिशन संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला को बनाया गया है, जो पूर्व में भी इसका दायित्व निभा चुकी हैं और उनके पूर्व कार्यकाल में वेतन के लिए बजट की कमी नहीं होती थी. उनके द्वारा कर्मचारियों के नियमितीकरण, ग्रेड पे के संबंध में भी काम हुआ था, जो बाद में फाइलों में दब गया. ऐसे में एनएचएम कर्मचारियों में उनके आने से आशा बढ़ी है. सुनिए एनएचएम कर्मचारियों ने क्या कहा –

रायपुर।  प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था की नींव संभालने वाले राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कर्मचारी बहुतायत जिलों में वेतन को तरस रहे हैं। त्यौहार और शादियों के सीजन में कर्मचारियों की खाली जेब ने उन्हें न केवल परेशान कर रखा है बल्कि रोजमर्रा के खर्चों को लेकर भी चिंता बढ़ा दी है।

जानकारी के मुताबिक 25 जिलों रायगढ़, कोंडागांव,सारंगढ़-बिलाईगढ़, बालोद, सूरजपुर, कोरिया, कबीरधाम, गरियाबंद, कोरबा, मुंगेली, जशपुर, दुर्ग, कांकेर, मनेन्द्रगढ़, चिरमिरी, गौरेला पेंड्रा मरवाही, राजनांदगांव समेत अन्य जिलों में एनएचएम कर्मचारियों को दो माह से वेतन नहीं मिला है और राज्य कार्यालय के स्टाफ को वेतन जारी हो गया है. छग प्रदेश एनएचएम कर्मचारी संघ ने मिशन संचालक को ज्ञापन सौंपकर जल्द वेतन का भुगतान करने की मांग की है.

 

परेशान कर्मचारियों ने बताया कि, संविदा की नौकरी जिसमें अल्प वेतन में कार्य कर रहे है और बचत इस महंगाई में कर नहीं सकते. आजकल कई कर्मचारियों के लोन होते हैं, घर का किराया, बच्चों की फीस, बड़े बुजुर्गों की दवाई का खर्च भी रहता है. ऐसे में समय पर वेतन न मिलना कर्मचारियों में निराशा पैदा कर रहा है. स्थिति यह हो गई है कि रोजमर्रा के खर्चों को संभालने भी उधार लेने की नौबत आ रही है. इसे लेकर कमर्चारियों में बहुत आक्रोश है. उनका कहना है कि नई बीजेपी सरकार से संविदा से मुक्ति के लिए कुछ प्रयास की आशा थी पर यहां तो समय पर वेतन मिलना मुश्किल हो गया है. मोदी की गारंटी तो पूरी होती नहीं दिखती अलबत्ता दैनिक जीवन जरूर प्रभावित हो रहा है.

मिशन संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला से कर्मचारियों को उम्मीद

कर्मचारियों ने कहा, यही हाल रहा तो आंदोलन करने मजबूर होंगे. अभी हाल ही में मिशन संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला को बनाया गया है, जो पूर्व में भी इसका दायित्व निभा चुकी हैं और उनके पूर्व कार्यकाल में वेतन के लिए बजट की कमी नहीं होती थी. उनके द्वारा कर्मचारियों के नियमितीकरण, ग्रेड पे के संबंध में भी काम हुआ था, जो बाद में फाइलों में दब गया. ऐसे में एनएचएम कर्मचारियों में उनके आने से आशा बढ़ी है.

सुनिए एनएचएम कर्मचारियों ने क्या कहा –

 

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