‘संविधान हमें एक परिवार की तरह रखता है’, देश के नाम संबोधन में बोलीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, महाकुंभ का भी किया जिक्र

नई दिल्ली।  राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू ने 76वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देशवासियों को संबाेधित किया. राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में एक देश-एक चुनाव, महाकुंभ तथा ISRO (Indian Space Research Organisation) के स्पैडेक्स (SPADEX) मिशन का भी जिक्र किया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, ”संविधान (Constitution) भारतीयों के रूप में हमारी सामूहिक पहचान का आधार प्रदान करता है, यह हमें एक परिवार के रूप में बांधता है”. उन्होंने कहा कि ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ (One Nation, One Election) योजना शासन में निरंतरता को बढ़ावा दे सकती है और वित्तीय बोझ को कम कर सकती है.

उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में शामिल भारत को ज्ञान और विवेक का उद्गम माना जाता था लेकिन भारत को एक अंधकारमय दौर से गुजरना पड़ा. इसके अलावा उन्होंने कई मुद्दों पर अपनी बातों को रखा.

संबोधन की शुरूआत में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, “गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर मैं, आप सबको हार्दिक बधाई देती हूं. आज से 75 वर्ष पहले, 26 जनवरी के दिन ही भारत का संविधान, लागू हुआ था.” राष्ट्रपति ने कहा कि आज भारत विश्व का नेतृत्व कर रहा है.

राष्ट्रपति ने कहा, ‘गणतंत्र दिवस का उत्सव, सभी देशवासियों के लिए सामूहिक उल्लास और गौरव का विषय है. यह कहा जा सकता है कि किसी राष्ट्र के इतिहास में 75 साल का समय, पलक झपकने जैसा होता है. लेकिन मेरे विचार से, भारत के पिछले 75 वर्षों के संदर्भ में, ऐसा बिलकुल नहीं कहा जा सकता है. यह वह कालखंड है जिसमें, लंबे समय से सोई हुई भारत की आत्मा फिर से जागी है और हमारा देश विश्व-समुदाय में अपना समुचित स्थान प्राप्त करने के लिए अग्रसर हुआ है.

विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में शामिल भारत को, ज्ञान और विवेक का उद्गम माना जाता था. लेकिन, भारत को एक अंधकारमय दौर से गुजरना पड़ा. औपनिवेशिक शासन में, अमानवीय शोषण के कारण देश में घोर गरीबी व्याप्त हो गई.’ उन्होंने कहा, ‘आज के दिन, सबसे पहले, हम उन शूर-वीरों को याद करते हैं जिन्होंने मातृभूमि को विदेशी शासन की बेड़ियों से मुक्त कराने के लिए बड़ी से बड़ी कुर्बानियां दीं. उनमें से कुछ स्वाधीनता सेनानियों के बारे में लोग जानते हैं, लेकिन बहुतों के बारे में उन्हें जानकारी नहीं थी.

राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू ने कहा, “इस वर्ष, हम भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती मना रहे हैं. वे ऐसे अग्रणी स्वाधीनता सेनानियों में शामिल हैं जिनकी भूमिका को राष्ट्रीय इतिहास के संदर्भ में अब समुचित महत्व दिया जा रहा है.”

राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू ने कहा, “न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता केवल सैद्धांतिक अवधारणाएं नहीं हैं जिनका परिचय हमें आधुनिक युग में प्राप्त हुआ हो. ये जीवन-मूल्य तो सदा से हमारी सभ्यता और संस्कृति का अंग रहे हैं. भारत के गणतांत्रिक मूल्यों का प्रतिबिंब हमारी संविधान सभा की संरचना में भी दिखाई देता है.

उस सभा में देश के सभी हिस्सों और सभी समुदायों का प्रतिनिधित्व था. सबसे अधिक उल्लेखनीय बात यह है कि संविधान सभा में सरोजिनी नायडू, राजकुमारी अमृत कौर, सुचेता कृपलानी, हंसाबेन मेहता और मालती चौधरी जैसी 15 असाधारण महिलाएं भी शामिल थीं.”

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के किसानों से कड़ी मेहनत की है और देश को खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया है. उन्होंने कहा, “हमारे किसान भाई-बहनों ने कड़ी मेहनत की और हमारे देश को खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया. हमारे मजदूर भाई-बहनों ने अथक परिश्रम करके हमारे इंफ्रास्ट्रक्चर और मैनुफैक्चरिंग सेक्टर का कायाकल्प कर दिया. उनके शानदार प्रदर्शन के बल पर आज भारतीय अर्थ-व्यवस्था विश्व के आर्थिक परिदृश्य को प्रभावित कर रही है.”

महाकुंभ हमारी सांस्कृतिक विरासत- राष्ट्रपति

राष्ट्रपति मूर्मू ने कहा, “हमारी सांस्कृतिक विरासत के साथ हमारा जुड़ाव और अधिक गहरा हुआ है. इस समय आयोजित हो रहे प्रयागराज महाकुंभ को उस समृद्ध विरासत की प्रभावी अभिव्यक्ति के रूप में देखा जा सकता है. हमारी परंपराओं और रीति-रिवाजों को संरक्षित करने और उनमें नई ऊर्जा का संचार करने के लिए संस्कृति के क्षेत्र में अनेक उत्साह-जनक प्रयास किए जा रहे हैं.”

इसरो के स्पैडेक्स मिशन का किया जिक्र

इसरो की हालिया सफलता को लेकर राष्ट्रपति ने कहा, “भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने हाल के वर्षों में अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में बहुत बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं. इस महीने, इसरो ने अपने सफल स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट से देश को एक बार फिर गौरवान्वित किया है. भारत अब विश्व का चौथा देश बन गया है जिसके पास यह क्षमता उपलब्ध है.”

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