फ्लोरा मैक्स चिटफंड घोटाला: महिला आयोग अध्यक्ष ने मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए गठित की दो सदस्यीय टीम

कोरबा। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने कोरबा में फ्लोरा मैक्स चिटफंड घोटाला सहित महिला उत्पीड़न से संबंधित 24 मामलों पर जन सुनवाई की। इस सुनवाई में आयोग की सदस्य सरला कोसरिया और लक्ष्मी वर्मा भी मौजूद रहीं। यह सुनवाई प्रदेशव्यापी 291वीं और कोरबा जिले की 9वीं सुनवाई थी।

बता दें कि कोरबा में गरीब महिलाओं के साथ ठगी करने वाली फ्लोरमैक्स चिटफंड कंपनी के खिलाफ दर्ज की गई शिकायतों पर आयोग ने व्यापक स्तर पर कार्रवाई का निर्णय लिया है। यह कदम कोरबा जिले के पत्रकारों के सामूहिक प्रस्ताव पर उठाया गया। महिला आयोग ने इस मामले पर स्वतः संज्ञान लिया और मामले के ऑर्डर शीट्स की एक कॉपी कलेक्टर कोरबा को सौंप दी है।

पीड़ित महिलाओं की शिकायतें लेने के लिए टीम का किया गठन

आयोग ने यह भी निर्देश दिया कि पीड़ित महिलाओं की शिकायतें लेने के लिए दो सदस्यीय टीम, जिसमें सरला कोसरिया और लक्ष्मी वर्मा शामिल हैं, कोरबा मुख्यालय पर कैंप लगाएगी। कलेक्टर कोरबा ने इस कार्य में प्रशासनिक सहयोग देने का आश्वासन दिया है और कहा कि वह शासन से अनुमति लेकर इस पहल में सहयोग करेंगे।

जन सुनवाई के दौरान इन प्रकरणों में भी हुई सुनवाई

प्रथम प्रकरण: पारिवारिक विवाद का समाधान

आवेदिका के बेटे का निधन हो गया है और अनावेदिका उसकी विधवा पत्नी है। अनावेदक का 4 साल का बेटा है। आवेदिका के बेटे की मृत्यु के पश्चात अनावेदिका को उसके पति की नौकरी मिली है। दोनों पक्षों के बीच लिखित इकरारनामा किया गया है, जिसमें यह तय किया गया कि आवेदिका अपने पोते से मिल सकेगी। उभयपक्ष को समझाईश देने पर आवेदिका ने आयोग के समक्ष अपने बेटे को उसके दादी-दादा से हफ्ते में 2 दिन, शनिवार और रविवार को भेजना स्वीकार किया है। इस बात के लिए दोनों पक्षों के बीच कोई भी विवाद नहीं होगा। महिला आयोग की समझाईश पर दोनों परिवार आपस में जुड़कर रहेंगे और एक वर्ष तक सखी सेंटर द्वारा निगरानी की जाएगी। इस निर्देश के साथ प्रकरण निस्तीबद्ध किया गया।

दूसरा प्रकरण: उच्च न्यायालय द्वारा आदेश और कार्यवाही में विलंब

अनावेदक क्रमांक 1 ने उच्च न्यायालय बिलासपुर के आदेश दिनांक 5.5.2023 को आयोग में प्रस्तुत किया गया था, जिसमें अनावेदक को बी.आर.सी. पद से हटाकर अन्यत्र भेजे जाने पर स्थगन मांगा गया था। हालांकि, माननीय उच्च न्यायालय ने उसे स्थगन नहीं दिया और केवल यथास्थिति का आदेश दिया था, जिसका मतलब था कि इस प्रकरण में अनावेदक को कोई लाभ नहीं मिल सकता था। आवेदिका माननीय उच्च न्यायालय में उसके दूभिक्ता के माध्यम से उपस्थित हो चुकी है, और इस प्रकरण में अब तक आंतरिक विवाद समिति से कोई कार्रवाई नहीं की गई है, यह जिला शिक्षा अधिकारी कोरबा के पत्र दिनांक 27.11.2024 से पुष्टि होती है। इस मामले में 2 साल से कार्रवाई पूरी नहीं हो पाई है, जिसके कारण आयोग ने आवेदिका को सुझाव दिया कि वह इन बिंदुओं को माननीय उच्च न्यायालय में अपने वकील के माध्यम से प्रस्तुत करें। चूंकि मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन है, इसे आयोग द्वारा स्थगित किया गया और निस्तीबद्ध किया गया।

तीसरा प्रकरण: दहेज उत्पीड़न और संपत्ति का विवाद

आवेदिका के पति स्व. विनोद कटियारे के निधन के बाद आवेदिका का विवाह में दिया गया सारा सामान अनावेदकगण ने रख लिया था। आवेदिका की शिकायत को पंजीबद्ध नहीं किया जा रहा था। आवेदिका ने कई बार थाने और एस.पी. कार्यालय में शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके आधार पर आवेदिका ने यह निर्णय लिया कि वह इन सभी अनावेदकगणों के खिलाफ धारा 498ए के तहत अपराध पंजीबद्ध कराएगी और अपना समस्त सामान वापस प्राप्त करेंगी। महिला आयोग ने इसे न्यायालय में विचाराधीन मामला मानते हुए निस्तीबद्ध किया।

चौथा प्रकरण: संपत्ति विवाद और कानूनी प्रक्रिया

आवेदिका ने शिकायत की थी कि अनावेदक ने उसके द्वारा बनाए गए मकान पर कब्जा कर लिया है। अनावेदक का कहना था कि आवेदिका के पति ने उससे पैसा लिया था, जबकि आवेदिका के पति का कहना था कि पूरा पैसा वापस कर दिया गया था। इसमें उल्लेख किया गया कि जिस नोटरी दस्तावेज के आधार पर अनावेदक ने मकान खरीदने का दावा किया था, उसमें गवाह आज आयोग में उपस्थित हुए, जिन्होंने यह पुष्टि की कि आवेदिका के पति ने अनावेदक को पूरा पैसा तीन किश्तों में वापस कर दिया था। दोनों पक्षों के बीच मध्य न्यायालय में कानूनी प्रक्रिया भी प्रारंभ हो चुकी है। आयोग ने इस मामले में एस.पी. कोरबा से 02 माह में थाना दीपका से पुलिस प्रतिवेदन प्राप्त करने का निर्देश दिया है, ताकि अंतिम निर्णय लिया जा सके। पुलिस रिपोर्ट आने के बाद ही आयोग इसे अंतिम रूप से निपटाएगा।

पाँचवां प्रकरण: वन विभाग की ज़मीन पर कब्जा विवाद

वन विभाग की जमीन पर अनावेदक ने बेजा कब्जा किया है, और आवेदिका ने इसकी शिकायत की थी। इस पर एक अपराधिक मामला दर्ज किया गया था जो कि न्यायालय में विचाराधीन था। चूंकि मामला न्यायालय में विचाराधीन है, इसलिए इसे निस्तीबद्ध किया गया।

छठा प्रकरण: अनुपस्थित आवेदिका और सुनवाई की अगली तारीख

इस प्रकरण में आवेदिका अनुपस्थित थी और उसने आगामी सुनवाई के लिए आवेदन दिया था। न्यायालय ने 16 जनवरी 2025 को सुनवाई की तारीख तय की और कहा कि अनावेदक को उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं होगी। मामले की अगली सुनवाई रायपुर में होगी।

सातवाँ प्रकरण: संपत्ति विवाद पर तहसील न्यायालय का निर्णय

आवेदिका और अनावेदक के बीच संपत्ति विवाद था, जिसका समाधान तहसील न्यायालय द्वारा किया गया था। आवेदिका चाहें तो राजस्व न्यायालय में अपील कर सकती हैं। इस निर्देश के साथ प्रकरण को निस्तीबद्ध किया गया।

आठवाँ प्रकरण: सुलहनामा और पारिवारिक विवाद

आवेदिका और उसकी ननद के बीच सुलहनामा का मामला था। आयोग ने दोनों पक्षों के सामने सुलह कराई और इसे शांति से निपटाया। इस मामले को निस्तीबद्ध किया गया।

नवाँ प्रकरण: अवैध संबंधों का आरोप

आवेदिका ने आरोप लगाया था कि अनावेदिका के साथ उसके पति के अवैध संबंध थे। यह मामला न्यायालय में विचाराधीन था, इसलिए इसे निस्तीबद्ध किया गया।

दसवाँ प्रकरण: भरण पोषण का मामला और कानूनी सहायता

आवेदिका ने भरण पोषण के मामले में न्यायालय में अपील की थी। आयोग ने आवेदिका को निःशुल्क अधिवक्ता उपलब्ध कराने का निर्देश दिया और प्रकरण को निस्तीबद्ध किया।

ग्यारवां प्रकरण: संपत्ति विवाद और धमकी

आवेदिका ने आरोप लगाया कि अनावेदक ने उसकी ज़मीन पर अवैध कब्जा कर लिया और धमकी दी। आयोग ने कलेक्टर कोरबा से पत्र भेजने का निर्देश दिया कि वह एस.डी.एम., तहसीलदार, और अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर स्थल निरीक्षण करें और रिपोर्ट 03 माह में आयोग को भेजें। इस प्रकरण में अनावेदक के खिलाफ अपराधिक मामला दर्ज करने का निर्देश भी दिया गया है। पुलिस प्रतिवेदन मिलने के बाद अगली कार्यवाही की जाएगी। अनावेदक क्रमांक 01 और 02 को थाना पाली के माध्यम से आगामी सुनवाई में उपस्थित कराया जाएगा।

 

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