रायपुर। राज्य में बिजली दरों में वृद्धि के विरोध में 29 जुलाई से लगभग 150 मिनी स्टील प्लांट और 50 अन्य स्पंज आयरन प्लांट में ताला लटका हुआ है। सरकार के आश्वसन के बाद एसोसिएशन को फैसले का इंतजार है। इस बीच आज छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (CGSIMA) और फेरो अलॉयज एसोसिएशन के प्रतिनिधियों की राजधानी में बैठक आयोजित की गई। जिसमें एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने प्रतिनिधिमंडल और डिप्टी सीएम विजय शर्मा के बीच हुई चर्चा के बारे में सदस्यों को अवगत कराया।
CGSIMA अध्यक्ष अनिल नचरानी, उपाध्यक्ष पंकज अग्रवाल, मुकेश पांडे, मनीष धुप्पड़, अनिल अग्रवाल और फेरो अलॉयज एसोसिएशन के अध्यक्ष धरमवीर नचरानी ने इस बैठक में बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार 3 अगस्त को डिप्टी सीएम विजय शर्मा से सार्थक चर्चा हुई, जिसमें डिप्टी सीएम ने सभी पक्षों को सुना और सकारात्मक सहयोग देने का आश्वासन दिया। उन्होंने जल्द ही तकनीकी बिंदुओं पर संबंधित उच्चाधिकारियों के साथ बैठक करने का वादा किया है।
अभी बंद रहेंगे स्टील
छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन और फेरो अलॉयज एसोसिएशन के प्रतिनिधियों की बैठक में उपस्थित सदस्यों ने वर्तमान बिजली दरों में स्टील उद्योग चलाने की असंभवता पर विचार-विमर्श किया। सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि प्लांट बंद रखने का आंदोलन जारी रहेगा। उपस्थित सदस्यों ने आंदोलन में सहयोग के लिए सभी स्टील प्लांट (मिनी स्टील प्लांट और फेरो अलॉयज) के संचालकों का धन्यवाद किया।
आगे की रणनीति और अन्य संगठनों का समर्थन
छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन मैन्युफैक्चरर्स और फेरो अलॉयज एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने बैठक के दौरान बताया कि छत्तीसगढ़ स्टील री-रोलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय त्रिपाठी ने भी इस आंदोलन में उनका पूर्ण सहयोग का वादा किया और आवश्यक होने पर अपने सदस्यों को भी प्लांट बंद करने का आग्रह किया है। बैठक में रायगढ़ और वायर रॉड के स्टील उत्पादकों से भी समर्थन की अपील की गई।
एसोसिएशन के सदस्यों ने बैठक के अंत में दीर्घकालीन व्यापारिक दृष्टिकोण के साथ सरकार के साथ वार्ता करने का निर्णय लिया और इसके परिणाम तक इंतजार करने का संकल्प लिया। यदि बीच में कोई वार्ता होती है, तो सदस्यों को अवगत कराकर ही कोई निर्णय लिया जाएगा।
स्टील उद्योग में हड़ताल से नुकसान की भरपाई मुश्किल
स्टील और सरिया कारोबारियों के अनुसार, छत्तीसगढ़ में उत्पादन रुकने से देशभर में अन्य राज्यों का लोहा की बिक्री बढ़ी है। भठ्ठी बंद होने से इसे दोबारा शुरू करने में अतिरिक्त बिजली और समय लगेगा। उद्योगपतियों का कहना है कि बढ़ी हुई बिजली दरों के कारण वे पड़ोसी राज्यों से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रहे हैं। शासन को जल्द समाधान निकालकर बिजली दरें वापस लेनी चाहिए। हड़ताल के कारण जो उत्पादन नहीं हो रहा है, उसकी भरपाई बाद में करना मुश्किल है।