PM आवास योजना के अधूरे मकानों को पूरा कराने में जुटे अधिकारी, पूर्व सरकार की योजना गरीबों के लिए बनी मुसीबत…

गरियाबंद।   जिले में “मोर द्वार साय सरकार” अभियान के तहत प्रशासनिक अफसर घर-घर जाकर प्रधानमंत्री आवास योजना के अधूरे मकानों को पूरा कराने की कवायद में जुटे हैं. लेकिन मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत अधूरे मकानों की सुध लेने वाला कोई नहीं है. करीब 1,157 हितग्राही, जिन्हें पूर्ववर्ती सरकार की योजना के तहत मंजूरी मिली थी, आज भी अधूरे मकानों में जीवन बिता रहे हैं।

जानकारी के अनुसार, जिले में 2016 से 2025 तक कुल 80,046 पीएम आवास स्वीकृत किए गए, जिनमें से 31,044 अब भी अधूरे हैं. इनमें से 28,799 मकान इसी वित्तीय वर्ष के हैं. इन्हीं मकानों को पूरा करने के लिए जिला पंचायत सीईओ जी.आर. मरकाम, जिला पंचायत अध्यक्ष गौरी शंकर कश्यप और जनपद के अफसरों ने झरगांव, मुचबहाल, धोबनमाल, उरमाल समेत दर्जनों गांवों का दौरा किया.

इंदुमती का अधूरा मकान देख अधिकारी रह गए हैरान

गुरुजीभाठा के पीएम आवास हितग्राहियों से संपर्क के बीच अधिकारियों की नजर इंदुमती के निर्माणाधीन मकान पर पड़ी तो वो अपने आप को नहीं रोक पाए. अफसर इंदुमती के लेंटर लेबल तक खड़ी मकान को देख जल्द पुरा करने कहा ,लेकिन इंदुमती के सवाल के जवाब पर निरुत्तर हो गए .

आवास के केटेगिरी से अंजान अफसर को जब इंदुमती ने बताया कि उन्हें आवास निर्माण के केवल 2 किश्त यानी 50 हजार भर मिला है तो उन्होंने जनपद के अफसर को तलब किया. जनपद अधिकारी ने जैसे ही बताया कि यह पीएम नहीं बल्कि पूर्वर्ती सरकार के समय चलाई योजना सीएम आवास के तहत निर्मित हो रहा है, तो वे उल्टे पांव लौटने लगे. इंदुमती बार बार अपनी आर्थिक स्थिति का हवाला देकर बता रही थी कि पुराने मकान तोड़ कर इसे बना रहे,उनके पास रहने के लिए कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा, इसी अधूरे आवास में गुजारा कर रहे, बरसात में समान समेट कर पड़ोसी के छत का सहारा लेते हैं.

सीएम आवास योजना के 1,157 हितग्राही परेशान

भूपेश सरकार के कार्यकाल के अंतिम वर्ष में जिलेभर में 1,157 सीएम आवास मंजूर किए गए थे, जिनमें से केवल 80 मकान ही पूर्ण हो सके हैं. कई हितग्राही अपनी जमापूंजी लगाकर मकान को छत स्तर तक बना चुके हैं, लेकिन अगली किश्त का इंतजार अब तक कर रहे हैं.

PM आवास का नहीं मिलेगा लाभ

मैनपुर ब्लॉक में मंजूर 352 आवास में से केवल 24 पूर्ण हुए हैं. 66 छत स्तर पर हैं. जबकि 167 प्लिंथ स्तर पर है. इसी तरह देवभोग ब्लॉक में मंजूर 181 में से 50 छत स्तर पर और 130 प्लिंथ स्तर पर है. इन्हें प्राथमिकता के आधार पर आवास दिया गया था, लेकिन इनका पक्के आवास का सपना अधूरा रह जाएगा. सीएम आवास हितग्राही होने के नाते इनका नाम अब पीएम आवास 2 के हितग्राही में नाम नहीं आ सकता.पूर्व सरकार के पक्के आवास के योजना में नाम आना ही अब इनकी परेशानी का कारण बन गया है.

पीएम आवास के हितग्राहियों से मिल रहे अधिकारी

प्रशासनिक अधिकारी उन हितग्राहियों से भी संपर्क कर रहे हैं, जिन्होंने पहली किश्त तो ले ली, लेकिन निर्माण कार्य शुरू नहीं किया. इन लोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है कि वे जल्द से जल्द निर्माण कार्य शुरू करें ताकि समय पर अगली किश्त भी प्राप्त हो सके और योजना में प्रतीक्षारत अन्य लोगों को भी लाभ मिल सके.

जिला पंचायत अध्यक्ष ने उड़िया भाषी हितग्राहियों को समझाया कि सरकार अब घर-घर जाकर आवास पूरे करा रही है, इसलिए मानसून से पहले मकान निर्माण शुरू करें. कुछ जगहों पर अधिकारियों ने ले-आउट तैयार कराकर कार्य शुरू कराने का वादा भी लिया और उसकी वीडियोग्राफी भी कराई.

दरअसल जिले में वर्ष 2016 से 2025 तक 80046 आवास की मंजूरी दी गई. जिसमें 49002 ने अब तक आवास पुरा नहीं किया.अपूर्ण आवास में 28799 आवास तो इसी चालू सत्र के हैं.आंकड़े संतोष जनक नहीं होने के कारण जिले में अभियान सफल बनाने आला अफसर ग्राउंड पर मेहनत कर रहे हैं.

पीएम आवास पर फोकस : सीईओ

जिला पंचायत के सीईओ जी.आर. मरकाम ने कहा, “सीएम आवास योजना के तहत राशि अब तक नहीं मिली है. जैसे ही फंड मिलेगा, हितग्राहियों के खाते में ट्रांसफर किया जाएगा. फिलहाल हमारा उद्देश्य पीएम आवास योजना के सभी अधूरे मकानों को पूर्ण कराना है.”

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *