ASP अभिषेक महेश्वरी का घर सील, सौम्या चौरसिया के घर भी पहुंची टीम

रायपुर। छत्तीसगढ़ में आज तड़के सुबह से सीबीआई की टीम ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित उनके करीबियों और कई अधिकारियों के यहां दबिश दी है. छापे की कार्रवाई महादेव सट्टा एप मामले हुई है. इस मामले में ताजा अपडेट यह है कि बघेल सरकार में प्रभावशाली अधिकारी रहे एएसपी अभिषेक महेश्वरी के घर को सील कर दिया गया है. सीबीआई की टीम जब महेश्वरी के घर पहुंची तो वहां वे मौजूद नहीं थे.

वहीं बघेल सरकार में सीएम सचिवालय में उप सचिव रहीं सौम्या चौरसिया के भिलाई स्थित घर पर सीबीआई की टीम छान-बीन कर रही है. कुछ महत्वपूर्व दस्तावेज घर से बरामद किए जाने की चर्चा है. खबर केपीएस ग्रुप पर छापे को लेकर भी है. हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं हुआ है. बताया जा रहा है केपीएस ग्रुप के त्रिपाठी परिवार के घर टीम ने दबिश दी है. इसके साथ ही भूपेश बघेल के ओएसडी रहे मनीष बंछोर और आशीष वर्मा के ठिकानों पर छापे की खबर है.

सूत्रों के मुताबिक सीबीआई की टीम की कार्रवाई राजधानी रायपुर, भिलाई सहित करीब दो दर्जन से अधिक स्थानों पर चल रही है. भिलाई स्थित आवास में भूपशे बघेल के पूत्र चैतन्य बघेल से टीम पूछताछ कर रही है. वहीं बघेल केंद्रीय सुरक्षा बल की कड़ी निगरानी के बीच परिवारों के साथ अपने निवास पर मौजूद हैं.

इन जगहों पर चल रही सीबीआई की कार्रवाई

CBI की टीम ने आज तड़के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के रायपुर और भिलाई स्थित निवास पर दबिश दी है. इसके अलावा उनके राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा, विधायक देवेंद्र यादव, पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा, आईपीएस आनंद छाबड़, आईपीएस आरिफ शेख, आईपीएस अभिषेक पल्लव, आईपीएस प्रशांत अग्रवाल, एडिशनल एसपी अभिषेक माहेश्वरी, एडिशनल एसपी संजय ध्रुव के ठिकानों पर भी CBI ने छापेमारी की है.

क्या है मामला

छत्तीसगढ़ सरकार ने अगस्त 2024 में महादेव बेटिंग ऐप घोटाले की जांच आधिकारिक तौर पर सीबीआई को सौंप दी थी. ईडी ने पिछले साल जनवरी में इस पूरे मामले की जांच शुरू की थी, जिसके बाद इसका जिम्मा एसीबी और आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को भी सौंप दिया गया था. इस साल लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले 4 मार्च को एसीबी द्वारा दायर चार्जशीट में भूपेश बघेल को आरोपी बनाया गया था. भूपेश बघेल के खिलाफ पुलिस ने धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश, विश्वासघात और जालसाजी से संबंधित विभिन्न धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 और 11 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी. कई अन्य भी आरोपी बनाए गए थे.

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