रायपुर। महिला बाल विकास पर्यवेक्षकों ने 3 सितंबर को राजधानी रायपुर में हल्ला बोल प्रदर्शन का ऐलान कर दिया है. पर्यवेक्षक संघ की अध्यक्ष ऋतु परिहार ने जानकारी देते हुए कहा कि प्रदेश में विष्णु का सुशासन और महिला समानता सशक्तिकरण की बात बेमानी है, जब प्रदेश की लगभग 70 लाख महिलाओं को अत्यंत महत्वाकांक्षी योजना ‘महतारी वंदन योजना’ से एक माह में लाभान्वित करने वाली जुझारू महिलाएं, जिन्होंने दिन और रात एक कर इस कार्य को पूर्ण किया और प्रदेश की आधी आबादी के आर्थिक सामाजिक सशक्तिकरण के लिए सतत प्रयास करने वाली पर्यवेक्षकों को न्याय नहीं मिलता है.
ऋतु परिहार ने बताया कि पिछले 30 वर्षों से वेतन विसंगति दूर करने की मांग कर रही पर्यवेक्षकों की समस्याओं का समाधान नहीं हुआ है. इस दौरान कई पर्यवेक्षकों की सेवानिवृत्ति हो चुकी है, लेकिन उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया. सरकारें बदलती रहीं, लेकिन इनकी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ.
परिहार ने कहा कि पर्यवेक्षक का पद तृतीय श्रेणी कार्यपालिक का होता है. जबकि अन्य विभागों में इस पद को 4200 ग्रेड पे पर लेवल 8 में रखा गया है, महिला बाल विकास विभाग में इसे 2400 ग्रेड पे पर लेवल 6 में रखा गया है. यह विडंबना है कि महिला होने के कारण किसी ने इनकी वेतन विसंगति और सम्मान के मुद्दे पर विचार नहीं किया.
प्रदेश अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि प्रदेश में महिला समानता और सशक्तिकरण की बातें बेमानी हैं जब 1866 पर्यवेक्षक, जो खुद भी महिलाएं हैं, को उचित वेतन और सम्मान नहीं मिलता. पर्यवेक्षकों के कार्यों की महती भूमिका के बावजूद, विभाग ने फाइल तो भेजी है, लेकिन निर्णय अब तक नहीं आया है.
प्रदेश सचिव जयश्री साहू ने बताया कि राखी के अवसर पर महिला पर्यवेक्षकों ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और विभागीय मंत्री लक्ष्मी रजवाड़े से राखी बांधकर वेतन विसंगति दूर करने का उपहार मांगा है.
पर्यवेक्षकों द्वारा 3 सितंबर को तूता, राजधानी रायपुर में एक दिवसीय प्रदेशस्तरीय धरना प्रदर्शन किया जाएगा. इस प्रदर्शन के साथ ही वजन त्योहार और पोषण माह का बहिष्कार भी किया जाएगा. अब यह लड़ाई आर या पार की होगी, जिसमें पर्यवेक्षक अपनी मांगों को लेकर दृढ़ संकल्पित हैं.