गरियाबंद। गरियाबंद में नेशनल हाइवे 130 सी से लगे मोहेरा घाट में रात में रेत चोरी का बड़ा खेल चल रहा है. रात के 11 से 12 बजे के बीच पैरी नदी के धमतरी जिले के छोर से पोकलेन मशीन लगती है. हाइवा कतारबद्ध होकर मोहरा घाट में बारी-बारी से लगती है. पूल के एप्रोच से खदान तक जाने कच्ची सड़क भी बनाई गई है. मौसम साफ रहा सड़क सुखी रही तो रात भर हाइवा रेत का अवैध परिवहन करती है. बारिश हुई तो परिवहन रुक जाता है.
आज दोपहर तक दुर्ग पासिंग की 8 हाइवा आ चुकी थी, सभी एक ही ट्रांसपोर्ट कंपनी की थी. देर रात तक इसकी संख्या 20 से ज्यादा हो जाती है. इस घाट पर धमतरी जिले के कुरूद ब्लॉक का एक नामी और प्रभावशाली ठेकेदार अवैध खनन करवा रहा है.
हथखोज खदान में रायपुर-महासमुंद की जुगलबंदी
राजिम के महानदी में हथखोज घाट में भी रात के अंधेरे में रेत का अवैध खनन हो रहा है. इस घाट पर भंडारण की अनुमति दी गई है. इसी अनुमति के आड़ में आधा से ज्यादा वाहन बगैर भंडारण पर्ची के सीधे घाट से लोड हो रहे हैं. यहां रायपुर-महासमुंद के दो प्रभावशाली ठेकेदार की जुगलबंदी इस खदान पर काम कर रहा है.
प्रतिबंध के नाम पर तीन गुना बढ़ा दिया रेट
एनजीटी के नियम के मुताबिक, 30 सितंबर तक खदानों में खनन पर प्रतिबंध है, जिसका फायदा माफिया उठा रहे हैं. सेटिंग के पीछे ज्यादा खर्च का हवाला देकर आम दिनों में 4 हजार प्रति हाइवा के हिसाब से बेचे जाने वाले रेत अब 12 हजार में बेच रहे हैं. वहीं सप्लायर इसे दुगुनी कीमत यानी 24 से 25 हजार में डिलवरी दे रहे हैं. सेटिंग और सुविधा शुल्क पर आम दिनों की तरह ही खर्च किया जाता है. खनन कराने वाले को एक ट्रिप लोड कराने में कमीशन सहित महज 3 हजार का खर्च पड़ता है, जबकि प्रति हाइवा कमाई रोज 9 से 10 हजार है.
सूचना पर जाते हैं, पर नहीं मिलते खदान में
मामले में जिला माइनिंग अधिकारी फागूराम नागेश ने कहा कि जब-जब अवैध खनन की सूचना मिली है, बल सहित छापेमारी करने जाते हैं. लेकिन हमारे जाने से पहले भाग जाते हैं. मोहेरा और हथखोज दोनों जगह कार्रवाई के लिए जा चुके हैं.