धमतरी : देशभर में गर्मी की वजह से लोगों का हाल-बेहाल है। इस बीच धमतरी जिला प्रशासन की ओर से जल संरक्षण और संवर्धन के लिए सार्थक पहल की गई है। नवाचार के माध्यम से पीकू और गंगरेल की कहानी को आकर्षक रूप से दर्शाया गया है। आइए जल-जगार मनाएं, गंगरेल बचाएं के तहत लोगों से अपील की जा रही है कि पानी को व्यर्थ खर्च न करें पानी को सहेज कर रखें “जल है तो कल है” किसान भाईयों को गर्मी के सीजन में धान का फसल न लेकर दलहन और तिलहन की फसल लेने और मिट्टी उर्वरता शक्ति को बना कर रखने का आग्रह किया गया है। धमतरी जिला प्रशासन ने कार्टून के जरिए लोगों को पानी बचाने के लिए जागरूक करने की कोशिश की है।
पीकू – नमस्ते हम धमतरी जिले में पानी बचाने के लिए जल-जगार अभियान की शुरूआत करने वाले हैं। हम 21 मई से लेकर 7 जून के बीच धमतरी जिले के इन 20 गांवों में आ रहें हैं। जल-जगार अभियान के अंतर्गत इन गांवों में जल संरक्षण और संवर्धन के लिए विभिन्न कार्य किए जाएंगे। आप सब से अनुरोध है कि आप इस जल जगार अभियान में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करें। आइए जल बचाएं, अपना कल बचाएं।
पीकू – आप कौन है आप दुःखी क्यों है।
गंगरेल – मैं……मैं गंगरेल हूं, लाखों लोगों की प्यास बुझाने वाला, लाखों खेतों में हरियाली लाने वाला, अब मैं पल-पल सूख रहा हूं अपने अस्तित्व के लिए जूझ रहा हूं।
पीकू – ये तो बहुत बड़ी समस्या है।
गंगरेल- मुझे अपनी नहीं धमतरी वालों की चिंता है, मेरे बाद न जाने उनका क्या होगा, खेतों को पानी कहां से मिलेगा, लोगों की प्यास कैसे बुझेगी।
पीकू- ऐसा क्यों हो रहा है।
गंगरेल- लोगों की नादानी मुझ पर पड़ रही भारी, लोग ट्यूबवेल चलाकर छोड़ देते है जितना उपयोग करते है उससे ज्यादा बहा देते है हजारों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है।
पीकू- आप चिंता न करें हम जल जगार मनाएंगे, गांव वालों को बताएंगे, मिलकर पानी बचाएंगे।
आइए जल जगार मनाएं। गंगरेल बचाएं……..।
दूसरी कहानी
पीकू – बच्चों तुम सभी पानी से क्यों खेल रहे हो ? पानी व्यर्थ बह रहा है।
बच्चें – थोड़ा सा पानी बह गया तो क्या हुआ, पूरे जिले में इतने तो हैंडपंप हैं।
पीकू- चलो मैं बताता हूं मैंने ऐसा क्यो कहा, देखो पानी के लिए लोगों को कितनी तकलीफ उठानी पड़ रही है पानी की बर्बादी का नतीजा देखो ट्यूबवेल सूख गया है देखो हमें जीवन देने वाली नदी सूखी हुई है गंगरेल में पानी कम हो गया है देखो किस तरह पानी बर्बाद किया जा रहा है जितना पानी खेतों को मिलता है उससे कहीं ज्यादा बर्बाद हो जाता है। अगर पानी व्यर्थ नहीं जाता तो क्या पानी के लिए तकलीफ होती ? क्या गंगरेल सूखता ? नहीं ना….
बच्चें- हम कर भी क्या सकते हैं।
पीकू – हम बहुत कुछ कर सकते हैं प्रकृति ने हमें पानी के रूप में अनमोल उपहार दिया है इसे संभलकर खर्च करना चाहिए और हमें पानी बचाना चाहिए छोटे-छोटे कदम उठाकर हम पानी बचा सकते हैं इस्तेमाल के बाद नल बंद कर देना चाहिए अगर नल खराब है तो पानी बूंद बूंद बेहतर है तो नल की मरम्मत करानी चाहिए सबसे जरूरी है बारिश के पानी का संचयन इसके लिए घर की छत पर वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवा कर बारिश के पानी का संचयन कर सकते हैं। आइए जल बचाएं…. अपना आने वाला कल बचाएं…