Assembly By-Election : रायपुर दक्षिण विधानसभा के वर्तमान विधायक बृजमोहन अग्रवाल अब सांसद चुन लिए गए हैं इसलिए आज नही तो कल वे इस सीट की विधायकी से इस्तीफा देंगे फिर होगा उपचुनाव, सच्ची बात ये है कि आठ बार के विधायक बृजमोहन अग्रवाल जब तक चुनाव लड़ते रहे किसी और के लिए कोई गुंजाइश ही नहीं बनती थी।
अब जाकर कहा जा रहा है कि बृजमोहन के बाद कौन..? दुर्गा कॉलेज छात्रसंघ अध्यक्ष से उन्होंने अपनी राजनीति शुरु की थी, एक दबंग छात्र नेता के रूप में उनकी पहचान रही। बाद के उनकी राजनीतिक पारी के बारे में बताने की जरूरत नहीं। इस सीट पर भाजपा व कांग्रेस से दावेदारों की होड़ लग गई है शायद उन्हे अब ये लग रहा है कि बृजमोहन के खुद चुनाव न लडऩे की स्थिति में उनके लिए संभावना बन सकती है।
बात यहां छात्रसंघ से राजनीति में आए लोगों की है, वो भले अभी किसी पार्टी में है। वैसे तो दावेदार नेताओं की सूची काफी लंबी है। निवृतमान सांसद सुनील सोनी जो कि दुर्गा कालेज व विधि महाविद्यालय के छात्र नेता रहे। श्री अग्रवाल के करीबी हैं महापौर भी रह चुके हैं, नाम सामने आ रहा है। रविवि के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे प्रमोद दुबे कांग्रेस के सशक्त दावेदार हैं, नगर निगम की राजनीति में महापौर व सभापति रहे हैं।
एक और रविवि अध्यक्ष रह चुके अंजय शुक्ला की पहचान भी एक दबंग छात्र नेता के रूप में रही है, पहले कांग्रेस में थे अब भाजपा में हैं, वे भी पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। पहले भी वे धरसींवा व बलौदाबाजार – भाटापारा जैसे विधानसभा से टिकट मांगते रहे पर मिली नहीं। शहर के तेज तर्रार पार्षद मृत्युंजय दुबे ने भी छत्तीसगढ़ कॉलेज छात्रसंघ अध्यक्ष के रूप में अपनी राजनीति शुरु की थी। वे रविवि अध्यक्ष के सीधे चुनाव तो नहीं जीते लेकिन जब लंबे समय तक चुनाव हो ही नहीं रहे थे तब छत्तीसगढ़ छात्र संघर्ष समिति बनाकर नेतृत्व करते रहे।
बृजमोहन अग्रवाल खेमे से ही अपने लिए टिकट की मांग कर रहे हैं। भाजपा महिला नेत्री मीनल चौबे जो वर्तमान में भाजपा पार्षद दल की नेता हैं, दानी गल्र्स स्कूल व डिग्री गल्र्स कॅालेज से ही छात्रसंघ की राजनीति में पहचान बनाने के बाद विद्यार्थी परिषद में सक्रिय रहीं। काफी मुखर वक्ता शुरु से ही रहीं है। दावेदारों की दौड़ में शामिल हैं। यदि बात बृजमोहन अग्रवाल के पारिवारिक सदस्यों की करें तो विजय अग्रवाल और योगेश अग्रवाल भी छात्रसंघ की राजनीति में सक्रिय रहे पर उन्होने अभी तक अपनी ओर से टिकट के लिए कोई दावेदारी की नहीं है। हो सकता है और कुछ नाम हो पर याद नहीं आ रहा। यदि इनमें से किसी को टिकट मिल गई और चुनाव जीत गए तो कहा जायेगा बृजमोहन अग्रवाल के बाद एक और पूर्व छात्रनेता दक्षिण से विधायक चुने गए। हालांकि इंतजार के लिए अभी लंबा वक्त हैं, पर राजनीतिक संभावनाओं पर चर्चा तो होते रहनी चाहिए।