कोंडागांव। छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले में प्रशासन ने बिना कोई नोटिस दिए गरीब परिवार के निर्माणधाीन प्रधानमंत्री आवास पर बुलडोजर चला दिया. अब बच्चों के साथ सपन का परिवार सड़क पर आ गया है. रो-रो कर बच्चियाें ने कहा कि जब तोड़ना ही था तो प्रधानमंत्री आवास क्यों दिया गया. अब स्कूल नहीं जाएंगे. पापा यही छोटी सी दुकान से हमें पढ़ाते थे, पापा लोन पटाएगा या हमें पढ़ाएगा. बता दें कि कुछ समय पहले ही सपन हाल्दार का प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत हुआ था. आवास के लिए पैसे कम न पड़े, इसके लिए एक लाख का लोन भी लिया था, उन्होंने सोचा था कि शासन के पैसे के साथ इस पैसे से अच्छा मकान बना लूंगा, पर गरीब परिवार का अपना पूरा होता उससे पहले प्रशासन ने बुलडोजर चला दिया.
जानिए पूरा मामला
कोंडागांव जिले के सिंगारपुरी पंचायत के सपन हाल्दार अपने परिवार के साथ सड़क पर पकौड़े बनाकर 7 सदस्यों का परिवार चला रहा है. 30 वर्षों से कच्चा मकान था, जिसमे एक पक्का मकान बनाने का सपना देख रहा था. कुछ समय पहले ही यह सपना पूरा हुआ और प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत हुई. आवास के लिए पैसे कम न पड़े, इसके लिए एक लाख का लोन भी ले लिया, उन्होंने सोचा कि शासन के पैसे के साथ इस पैसे से अच्छा मकान बना लूंगा, मगर गरीब परिवार का सपना पूरा होता उससे पहले निर्माणाधीन मकान को अवैध बताकर तहसीलदार ने बिना कोई नोटिस के बुलडोजर चला दिया.
एक तरफ सरकार ने गरीब परिवार का सपना पूरा करने सपन का प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत किया. पंचायत ने जमीन का जियो टैग किया. फिर सब कुछ सही मिला तो सपन के खाते में एक बार 40 हजार रुपए और एक बार 60 हजार रुपए डाला गया. इसके बाद मकान का निर्माण शुरू किया गया था. मकान का निर्माण आधा हुआ तो है फिर अचान प्रशासन ने उस पर बुलडोजर चला दिया. यही नहीं, पशुओं के लिए बनाए शेड को भी गिरा दिया. अब पशु खुले में घूम रहे. बच्चों संग परिवार सड़क पर आ गया है. बिना सूचना के अतिक्रमण पर हुई इस कार्रवाई से ग्रामीणों में नाराजगी है.
ग्रामीणों और अफसरों के बीच हुई नोकझोक
कार्रवाई के दौरान बड़ी संख्या में ग्रामीण अतिक्रमण स्थल पर एकत्रित हुए. अधिकारियों और ग्रामीणों के बीच काफी नोक झोक देखने को मिली. ग्रामीण का आरोप है कि उक्त भूमि पर विगत 30 वर्षों से कब्जा है. अभी 4 वर्ष पूर्व ही बोरगांव में कृषि विज्ञान केंद्र स्थापित की गई है, जबकि इसका फरसगांव तहसील में प्रकरण चल रहा है. आज सुबह जब घर पर घर के बड़े बुजुर्ग नहीं थे तब तहसीलदार एवं राजस्व की टीम ने जेसीबी से निर्माणाधीन मकान को तोड़ दिया.
अतिक्रमण की शिकायत पर हटाया गया अतिक्रमण
इस मामले में फरसगांव एसडीएम अश्वन कुमार पोसम ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र के लिए आवंटित 25 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण की शिकायत मिली थी. इस पर नियम अनुसार अतिक्रमण को हटाया गया है. जब प्रधानमंत्री आवास की बात आई तो उन्होंने कहा, इसके बारे मे कुछ जानकारी नहीं है. पता कर लिया होता तो गरीब का मकान बच जाता.
जनपद सीईओ ने बताई पूरी प्रक्रिया
जनपद पंचायत सीईओ रामेश्वरमहापात्र ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास के लिए जब सब कुछ पुख्ता होता है तो केंद्र सरकार से लिस्ट आती है. इसके आधार पर मकान स्वीकृत होते हैं. भूमि का इसीलिए जियो टैग किया जाता है, ताकि गलत स्थान पर आवास न बने, फिर हितग्राही के खाते में पैसे आते हैं. स्थान परिवर्तन का भी लंबा प्रावधान होता है. विषम परिस्थितियों मे भारत सरकार को जानकारी देकर संसोधन किया जाता है.