रायपुर। रायपुर नगर निगम ने इस साल के लिए 500 करोड़ रुपये के टैक्स वसूली का रिकॉर्ड लक्ष्य तय किया है. इस टारगेट को पूरा करने के लिए निगम इस साल खाली और डायवर्टेड जमीनों पर भी टैक्स लगाने जा रहा है.
बता दें, पिछले साल निगम ने 300 करोड़ रुपये की टैक्स वसूली की थी. वहीं इस साल जोन क्रमांक- 6, 8, 9 और 10 कमिश्मनरी के अंतर्गत 2 हजार स्क्वेयर फीट से लेकर 1-1 हेक्टेयर से अधिक खाली जमीनों पर टैक्स वसूल कर 500 करोड़ रुपए टैक्स वसूली के टार्गेट को पूरा किया जाएगा. ऐसे खाली प्लाटों की स्थिति जानने के लिए निगम ने पिछले महीने जिला प्रशासन के भू अभिलेख और रजिस्ट्री शाख को पत्र लिखा था, जिसकी पूरी जानकारी अब दे दी गई है. इसमें 1 लाख 60 हजार प्लॉट की रजिस्ट्री और डायवर्सन की जानकारी सामने आते ही निगम ने जोन स्तर पर डिमांड जारी करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है.
इस मामले में निगम आयुक्त अविनाश मिश्रा ने बताया कि निगम के जनप्रतिनिधियों की मांग थी कि किसी भी प्लॉट की रजिस्ट्री की तारीख से टैक्स न वसूला जाए. वहीं यह डाटा भी निगम को प्रशासन से हाल ही में दिया गया है, इसलिए इन प्लॉट्स पर इसी साल से ही टैक्स लिया जाएगा.
आज हुई निगम की समीक्षा बैठक में आयुक्त अबिनाश मिश्रा ने कहा कि जोनवार सूची दो दिनों के भीतर जोन कमिश्नरी भेज दी जाएगी, जिसके बाद तेजी से भू-स्वामियों की सत्यापन रिपोर्ट तैयार कर ली जाएगी.
राजस्व वसूली में 150 करोड़ रुपये का अतिरिक्त अनुमान
यदि इस साल से रायपुर नगर निगम खाली प्लॉट्स से टैक्स वसूलने में सफल रहता है, तो कुल राजस्व में 150 करोड़ रुपये का अतिरिक्त इजाफा हो सकता है. राजस्व अधिकारियों के अनुसार, 2 हजार वर्गफीट के प्लॉट से लगभग 2,500 रुपये तक का टैक्स लिया जा सकता है, जो कुल वसूली में महत्वपूर्ण योगदान करेगा.
कर्नाटक के निगम के शैक्षणिक दौरे से किया अध्ययन
बता दें, पिछले महीने रायपुर नगर निगम के महापौर, सभापति और पार्षदों के साथ अधिकारियों का एक दल कर्नाटक के शैक्षणिक भ्रमण पर गया था, जहां उन्होंने स्थानीय निगम द्वारा खाली प्लॉट्स पर टैक्स लगाए जाने की प्रक्रिया का अध्ययन किया था. इस अध्ययन के बाद निगम ने अपने टैक्स वसूली अभियान को और भी मजबूत करने का निर्णय लिया है.
मोबाइल नंबरों भी होंगे अपडेट
नगर निगम ने शहर के 3 लाख 25 हजार प्रॉपर्टी मालिकों के मोबाइल नंबर को अपने रिकॉर्ड में अपडेट किया है. हालांकि, वॉट्सएप चैटबोट और ऑनलाइन सिस्टम के माध्यम से भेजे गए संदेशों में से केवल 1 लाख 10 हजार तक ही लोगों तक पहुंच पा रहे थे. इस समस्या के समाधान के लिए निगम ने स्वसहायता समूह की महिलाओं और राजस्व विभाग को एक-एक घर का सर्वे करने का निर्देश दिया है.