बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पूर्व विधायक मिश्रीलाल खत्री की पत्नी पुष्पा देवी खत्री द्वारा दायर याचिका पर राज्य शासन और विधानसभा सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. पुष्पा देवी ने अपने पति की पेंशन को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है, जिसमें उन्होंने छत्तीसगढ़ विधानसभा सदस्य वेतन और पेंशन नियम 2006 के नियम 3 घ की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है. याचिका में बताया गया कि कार्यपालिका द्वारा बनाया गया कोई भी नियम मूल अधिनियम के प्रावधान का उल्लंघन नहीं कर सकती.
बता दें कि पुष्पा देवी खत्री अपने अधिवक्ता के जरिए हाई कोर्ट में याचिका लगाई है. याचिका के मुताबिक उनके पति मिश्रीलाल खत्री संजारी बलोद जो, कि वर्तमान में विलोपित के पूर्व विधायक थे. उनका कार्यकाल 1977 से लेकर 1979 तक था. उनका 1996 में निधन हो गया. पूर्व विधायक के निधन के बाद नियमानुसार राज्य शासन ने पेंशन बंद कर दी. याचिका के अनुसार दिवंगत पूर्व विधायक की पत्नी ने कुटुंब पेंशन के लिए राज्य शासन व सचिव छत्तीसगढ़ विधानसभा के समक्ष आवेदन पेश किया था. इसे खारिज कर दिया. सचिव ने लिखा कि छत्तीसगढ़ विधानसभा सदस्य वेतन तथा पेंशन नियम 2006 के नियम 3 घ के अनुसार कुटुंब पेंशन केवल उन प्रकरणों में प्रदान की जा सकेगी जिसमें पूर्व विधानसभा सदस्य की मृत्यु 2005 के बाद हुई हो. वर्तमान प्रकरण में पूर्व विधायक मिस्री लाल खत्री की मृत्यु 1996 में हो चुकी है, लिहाजा पेंशन नहीं दी जाएगी.
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुशोभित सिंह ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा, कि छत्तीसगढ़ विधानसभा सदस्य वेतन तथा पेंशन अधिनियम 1972 की धारा 6 ख के अनुसार पूर्व विधायक की मृत्यु दिनांक से पूर्व विधायक के कुटुंब सदस्य पेंशन प्राप्त करने के लिए पात्र रहेंगे. नियम 3 घ मूल अधिनियम छत्तीसगढ़ विधानसभा सदस्य वेतन तथा पेंशन अधिनियम 1972 के धारा 6 ख के सर्वथा विपरीत है, मूल अधिनियम के प्रावधान का स्पष्ट उल्लंघन करती है.