स्पीकर हाउस बनेगा साहित्य और संस्कृति का केंद्र – डॉ. रमन सिंह
डॉ. रमन सिंह ने किताब के लेखक को बधाई देते हुए कहा कि रायपुर नगर के इतिहास पर आशीष सिंह ने जी ने बड़ा काम किया है. रायपुर प्राचीनकाल से ही ऐतिहासिक नगर रहा है. रायपुर को अलग-अलग कालखंडों में कई नाम दिए गए. जैसे कभी इसे कंचनपुर, कभी कनकपुर कहा गया. इससे पता चलता है कि रायपुर की महत्ता सोने के समान रहा है. रायपुर को रयपुर भी कहा जाता रहा है. रय का अर्थ माता लक्ष्मी और पुर का अर्थ निवास होना भी बताया गया है. अर्थात वह स्थान जहां माता लक्ष्मी का निवास हो.
डॉ. रमन सिंह ने इस दौरान यह भी कहा कि छत्तीसगढ़ का अपना गौरवशाली इतिहास रहा है. इतिहास के पन्नों में रायपुर और राज्य का गौरवशाली पन्ना बिखरा हुआ है. इन पन्नों को सहेजने का काम हम सबकों मिलकर करना होगा. पौराणिक काल से लेकर वर्तमान तक के रायपुर को बताने और दिखाने का काम करना होगा. रायपुर के अंदर ढेरों ऐतिहासिक धरोहर और निशानियां हैं. रमन सिंह ने इस दौरान कल्चुरी राजवंश, किला, बूढ़ा तालाब, कलेक्ट्रेट बिल्डिंग और बाबूलाल टॉकिज से जुड़े हुए किस्सों के साथ ही उन्होंने 70 के दशक में रायपुर में हुई कॉलेज की पढ़ाई के दिनों को भी साझा किया.
डॉ. रमन सिंह ने इस दौरान यह घोषणा भी की स्पीकर हाउस को हम साहित्य और संस्कृति का केंद्र बनाएंगे. राज्य के साहित्यकार, लेखकर, संस्कृतिकर्मी अगर कोई साहित्यिक आयोजन, किताब का विमोचन कराना चाहते हैं तो वें स्पीकर हाउस में कार्यक्रम आयोजन कर सकते हैं. इसकी सुव्यवस्था हाउस के अंदर मौजूद सभागार में की जा रही है. आयोजन के लिए कम से कम सप्ताहभर पूर्व एक सूचना देनी होगी. मैं एक बेहतर आयोजन के लिए साहित्यकारों और लेखकों को आमंत्रित करता हूँ कि वें निरंतर इस दिशा में प्रसात करते रहें.
पुरखों की स्मृतियों को संजोने हम संकल्पबद्ध- विजय शर्मा
उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि आशीष भैय्या ने जो ऐतिहासिक दस्तावेज तैयार किया वह महत्वपूर्ण है. मैं इस किताब के लेखन के लिए उन्हें बहुत-बहुत बधाई देता हूँ. मैं किताब को अभी पढ़ तो नहीं पाया हूँ, लेकिन पन्ने पलट ही रहा था कि मेरी नजर रायपुर लगर के सौ साल पुरानी एक इमारत पर पड़ी. इससे यह पता चलता है कि रायपुर नगर शताब्दी पूर्व कैसा रहा होगा. इसी तरह के प्रयास हम सबको मिलकर करना है. अतीत के पन्नों को पलटने से वर्तमान को भविष्य का ज्ञान हो सकता है. कहने का अर्थ है की नई पीढ़ी के समक्ष दस्तावेजी इतिहास को सामने लाते रहे. मैं यही कहना चाहूँगा कि छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद 15 साल तक जब डॉ. रमन सिंह की सरकार थी तब भी पुरखों की स्मृतियों को संजोने का काम हुआ और वर्तमान में आज फिर से भी बीजेपी की सरकार है तो मैं यह विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि पुरखों की स्मृतियों को संरक्षित, संवर्धित करने हम संकल्पबद्ध हैं.
कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्यकार डॉ. रामकुमार बेहार ने की. उन्होंने कहा कि आशीष ठाकुर जी ने रायपुर नामक इस किताब से छत्तीसगढ़ के कई ऐतिहासिक घटनाओं का जिक्र है. यह एक शोधपरक किताब है. वहीं इतिहासकार डॉ. एल.के. निगम ने कहा कि सरकारों को ऐसे किताबों का संदर्भ लेकर ऐतिहासिक स्मारकों, दस्तवेजों को संरक्षित करने का काम करना चाहिए. इतिहासकार डॉ. रमेन्द्रनाथ मिश्र ने कहा कि रायपुर नगर इतिहास अत्यंत प्राचीन है. रायपुर के अंदर ही अभी कई स्थानों पर खुदाई करने से अतीत के कालखंड बाहर आने लगेंगे. रायपुर सदियों पूर्व से एक बड़ा व्यापारिक केंद्र भी रहा. संस्कृति विशेषज्ञ अशोक तिवारी ने कहा कि इस किताब में कई कालखंडों का उल्लेख है. मैं किताब के लेखक दस्तावेजी लेखन के लिए बधाई देता हूँ. इस बहाने यह भी कहूँगा कि किताब के लिए जरिए जिन ऐतिहासिक धरोहरों का जिक्र किया गया उसे संरक्षित करने का प्रयास होना चाहिए. क्योंकि इस रायपुर नगर से पहली सरकारी बिल्डिंग जो कि एक धरोहर था उसे हम खो चुके हैं.
विमोचन कार्यक्रम में साहित्यकार डॉ. सुशील त्रिवेदी, डॉ. सुधीर शर्मा, शकुंतला तरार, जागेश्व प्रसाद, रंगकर्मी अरविंद मिश्रा, राकेश तिवारी, कवि मीर अली मीर, सहित कई अन्य साहित्यकार, पत्रकार, रंगकर्मी और छात्र-छात्राएं उपस्थित रहें.