दरअसल जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के मुख्य कार्यपालन अधिकारी सुरेंद्र कुमार जोशी ने विधानसभा चुनाव के दौरान ब्लॉक कांग्रेस कमेटी में अहिवारा विधानसभा चुनाव के लिए आवेदन दिया था।इसके बाद उसके आवेदन को लेकर कलेक्टर और मुख्य निर्वाचन कार्यालय दिल्ली में शिकायत की गई थी। शिकायत के आधार पर अप्रैल में मामले की जांच शुरू हुई। छत्तीसगढ़ सिविल सेवा वर्गीकरण के नियम 1961 के तहत कलेक्टर ने एक जांच समिति का गठन किया। जांच समिति में जिला पंचायत सीईओ, जनपद पंचायत सीईओ और दुर्ग नगर निगम आयुक्त शामिल थे। कमेटी ने आवेदन के आधार सस्पेंड करने की अनुशंसा की। 30 अप्रैल को कलेक्टर ने रिपोर्ट सहकारिता विभाग के सचिव को सौंपी। सचिव ने रिपोर्ट अपेक्स बैंक के महाप्रबंधक को भेजी, जिसके बाद महाप्रबंधक ने उन्हें निलंबित कर दिया।
इसके बाद अधिवक्ता शैलेंद्र बाजपेई के माध्यम से सुरेंद्र कुमार जोशी ने इस निलंबन के आदेश चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की। याचिका में कहा गया कि चूंकि सुरेंद्र कुमार जोशी भी महाप्रबंधक लेवल के अधिकारी है और जिले में पदस्थ है इसलिए मुख्य कार्यपालन अधिकारी है। उनका तो उनका निलंबन आदेश या तो चेयरमैन कर सकते हैं या रजिस्ट्रार को ऑपरेटिव सोसाइटी कर सकते हैं। लेकिन उनके बगैर अनुमति के महाप्रबंधक ने निलंबन आदेश जारी कर दिया। याचिका 5 मई 2024 को लगाई गई थी। 5 अगस्त को सुनवाई के दौरान याचिका को सुरक्षित रख लिया गया था। आज इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की बेंच ने सभी पक्षों को सुनने के बाद महाप्रबंधक के निलंबन आदेश को निरस्त कर दिया।