मुख्यमंत्री ने मंच से कहा कि आदिवासी समाज हमेशा से शिव, पार्वती, पेड़-पौधों और प्रकृति की पूजा करता रहा है। वे कर्मा पूजा को भगवान मानते हैं और अपनी आस्थाओं का पालन करते हुए इस पूजा को अपनी धार्मिक पहचान मानते हैं। सीएम साय ने बताया कि आदिवासी समाज की महिलाएं व्रत करती हैं, जो प्रकृति के पूजक होते हुए गौरा गौरी की पूजा करते हैं।
उन्होंने आगे कहा, “आदिवासी समाज ने सदियों से अपनी धार्मिक परंपराओं को निभाया है और यह कहना गलत होगा कि वे हिन्दू नहीं हैं। हम लोग कर्मा पूजा करते हैं, और यही पूजा हमारे धर्म का अभिन्न हिस्सा है। जो प्राकृतिक तत्वों की पूजा करते हैं, जो गौरा गौरी की पूजा करते हैं, उनसे बड़ा हिंदू कौन हो सकता है?”
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गौरतलब है कि सीएम साय ने यह बयान ऐसे समय में दिया है जब आदिवासी समुदाय में कुछ मत-मतांतरों को लेकर चर्चाएं चल रही हैं। मुख्यमंत्री के इस बयान का मकसद आदिवासी समाज की धार्मिक पहचान को मान्यता देना और यह स्पष्ट करना था कि आदिवासी समाज की परंपराएं और पूजा पद्धतियां हिंदू धर्म के मूल सिद्धांतों से जुड़ी हुई हैं।