सीएम के मीडिया सलाहकार पंकज झा ने सोशल मीडिया X पर आखिर क्यों लिखा ‘कलंक रंजित रहा है नकली गांधियों वाले कांग्रेस का इतिहास’

रायपुर।   सीएम के मीडिया सलाहकार पंकज झा ने गांधी परिवार पर निशाना साधा है. उन्होंने एक्स पर लिखा है कि कांग्रेस ने प्रथम राष्ट्रपति को सेवानिवृत्ति के बाद न तो दिल्ली में रहने दिया न ही उनके अंतिम संस्कार में नेहरू जी गए. नेहरू ने राष्ट्रपति को भी पटना जाने से मना किया था. नरसिम्हा राव के पार्थिव शरीर को हैदराबाद भेजा गया, क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि उनका दिल्ली में संस्कार कर उन्हें महिमांडित किया जाए. गांधी परिवार के ऐसे कृत्यों की श्रृंखला है.

झा ने लिखा है कि प्रणव दा कोई अकेले नहीं थे. ऐसे तमाम कांग्रेस के नेता जिनका कद बड़ा हो गया, वे नेहरू-फिरोज परिवार के निशाने पर रहे. सोनिया परिवार को कांग्रेस के हर बड़े नेता से नफरत सा रहा. प्रणव मुखर्जी को भारत रत्न भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया. मनमोहन सिंह के अध्यादेश को उसी हिकारत के साथ फाड़कर भारत के प्रधानमंत्री का अपमान किया था.

पंकज झा ने आगे लिखा है कि राहुल गांधी जिस हिकारत के साथ आज धर्मग्रंथ जलाए जा रहे हैं, तय मानिए अगर आज कांग्रेस की सरकार होती न तो दिल्ली में दो गज जमीन तो नसीब होना छोड़िए, दिल्ली के किसी सार्वजनिक शवदाह गृह तक में उनका अंतिम संस्कार तक नहीं होने देती सोनियाजी. ऐसा यूं ही नहीं कह रहा. याद कीजिए, पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा रावजी, जिनकी सरकार में वित्त मंत्री रहते मनमोहन सिंह ने वैश्विक यश प्राप्त किया था. उनके साथ क्या किया था सोनियाजी ने? वे कांग्रेस मुख्यालय में भी उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए रखने को तैयार नहीं थी. जब अत्यधिक दबाव के कारण नरसिम्हा राव जी को लाना पड़ा, तब मात्र 11 लोग उपस्थित थे, उनके दर्शन के लिए.

कोई पूछेगा आज कांग्रेस से कि उतने बड़े व्यक्तित्व और विद्वान पूर्व प्रधानमंत्री की समाधि कहां है? हैदराबाद में उनके अंतिम संस्कार करने पर क्यों विवश किया गया. केवल इसलिए, क्योंकि सोनिया परिवार बिल्कुल नहीं चाहता था कि कोई और बड़ा कद दिल्ली में दिखे जो राजीव खानदान का न हो. नरसिम्हा राव जी से सोनिया गांधीजी के घृणा का एक कारण यह भी था कि उन्होंने श्रीअयोध्या में लाशें नहीं बिछने दी. केवल प्रणव दा, नरसिम्हा रावजी, मनमोहन सिंह जी का भी प्रश्न नहीं है. याद कीजिए, प्रातः स्मरणीय लाल बहादुर शास्त्री जी के साथ क्या किया गया?

भारत रत्न प्रथम राष्ट्रपति, संविधान सभा के अध्यक्ष डा. राजेंद्र प्रसाद के साथ जैसा व्यवहार किया नेहरूजी ने उसे जान कर तो आप रो पड़ेंगे. सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें दिल्ली में रहने के लिए एक कमरा तक नहीं मिला. भारत का पहला राष्ट्रपति, जो अस्थमा के गंभीर मरीज थे, उन्हें अपना शेष जीवन पटना के सदाकत आश्रम के सीलन भरे कमरे में गुजारना पड़ा. मृत्यु भी उनकी पटना में हुई और दिल्ली में कोई समाधि या संस्कार की व्यवस्था तक नहीं की गई. नेहरुजी शामिल भी नहीं हुए. तब के राष्ट्रपति राधाकृष्णन जी को भी उन्होंने मना किया था, पर वे नहीं माने थे, क्योंकि सोमनाथ मंदिर जीर्णोद्धार में नेहरुजी के मना करने के बावजूद शामिल हुए थे. प्रथम राष्ट्रपति, इसलिए नेहरू की घृणा इस रूप में निकली थी.

झा ने आगे लिखा है कि पोस्ट में वर्णित हर तथ्य के दस्तावेजी प्रमाण हैं. सरदार पटेल से लेकर नेहरूजी के परिवार से पीड़ित कांग्रेस नेताओं की, कांग्रेस (इंदिरा) के ऐसे दुष्कृत्यों की लंबी सूची है. अगर इनकी सरकार रहते अटलजी का निधन हुआ होता, तो जैसा इनका इतिहास है, उसके अनुसार तो अटलजी को भी दिल्ली में स्थान नहीं मिलता. मनमोहन सिंहजी का महाप्रयाण आज इस तरह समादृत हो रहा है, उन्हें कृतज्ञ राष्ट्र इस संपूर्ण गरिमा, आदर के संग याद कर रहा है, उन्हें अश्रुमिश्रित श्रद्धांजलि मिल रहा है तो केवल इसलिए, क्योंकि आज कथित गांधी परिवार कुछ भी खराब करने की स्थिति में नहीं है. मनमोहन सिंहजी को रिमोट की तरह ही सही, पीएम उन्होंने इसलिए बनाया, क्योंकि सिख नरसंहार का कलंक थोड़ा धोकर वह वोट बटोरना चाह रही थी. कांग्रेस और उसके पेड ईको सिस्टम के गाल बजाने, उस थोथे चना के घना बजाने से सच्चाई नहीं बदलेगी. रक्तरंजित ही नहीं, कलंक रंजित भी रहा है नकली गांधियों वाले कांग्रेस का इतिहास।

 

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *