दरअसल छत्तीसगढ़ में अक्टूबर से दिसंबर तक रबी फसलों की बोवाई होती है, जहां ज्यादातर किसान ठंड में भी धान की बोवाई करते हैं. बोवाई को लेकर तीन जिला कलेक्टरों द्वारा जारी किए गए आदेश पर अब सवाल उठने लगा है. कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष धनेन्द्र साहू ने बताया कि सारे गांव से जानकारी मिल रही है कि कोटवारों द्वारा मुनादी कराकर धान की फसल नहीं लेने की धमकी दी जा रही. साथ ही धान बोने पर जुर्माना लगाकर कार्रवाई भी करने की चेतावनी दी जा रही है.
धनेंद्र साहू ने ये भी कहा आदेश लिखित में न देकर मौखिक आदेश अधिकारियों द्वारा दिया जा रहा है. धमतरी, राजनांदगांव और रायपुर जिले के कलेक्टरों द्वारा आदेश जारी कर धान की जगह दलहन-तिलहन की खेती करने किसानों पर दबाव बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा, किसानों का अधिकार है कि खेत के अनुकूल फसल लगाए. किसान कोई अफ़ीम या गांजा नहीं उगा रहे, जिसे सरकार बैन कर रही है, लेकिन अब ऐसा फरमान सरकार ने जारी किया है, जिससे सरकार की नीति पर सवाल उठ रहा है. किसान विरोधी नीति भाजपा सरकार ने लाई है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता धनेंद्र साहू ने इस बात को भी उजागर किया कि रमन सरकार के वक़्त भी सरकार ने ऐसा आदेश जारी किया था, जिसे बाद में विरोध के कारण वापस ले लिया गया. उन्होंने कहा कि सरकार को तत्काल इस किसान विरोधी आदेश को निरस्त करना चाहिए.
किसानों पर कोई दबाव नहीं : भाजपा
रबी सीजन में धान बुआई नहीं करने के आदेश पर भाजपा महामंत्री संजय श्रीवास्तव ने कहा, मूलतः छत्तीसगढ़ धान का कटोरा है. इसमें किसी प्रकार का संशय नहीं है कि धान हमारे लिए प्राथमिकता है. बदलते समय में किसानों को कौन सी फसल लगानी है और उसके लाभ के लिए विचार मंथन होता है, इसके लिए जरूरी नहीं कि इसमें कार्यवाही होगी. किसानों ऊपर कोई दबाव नहीं है. किसान यदि आज 100 रुपए कमा रहा है तो कल 200 कैसे कमाए, इसकी जानकारी देना सरकार की जिम्मेदारी है.