बताया जा रहा कि ऑक्सीजन प्लांट में करोड़ो रुपए खर्च हुए, लेकिन ये हमेशा बंद रहता है. अब सवाल आखिरकार यह उठता है कि करोड़ों रुपए खर्च कर बनाए गए ऑक्सीजन प्लांट के बंद होने का जिम्मेदार कौन है. अगर आने वाले समय में ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है तो इसकी आपूर्ति कैसे होगी.
बता दें कि दाऊद कल्याण सिंह अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट खोला गया था, लेकिन अस्पताल में ऑक्सीजन की आपूर्ति बाहर से होती है. राजधानी रायपुर के डीकेएस अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट होने के बावजूद ऑक्सीजन सिलेंडर बाहर से प्राइवेट जगह से मंगवाया जाता है. बाहर से आने वाले ऑक्सीजन सिलेंडर से ही अस्पताल में इसकी आपूर्ति होती है.
रोज बाहर से मंगवाते हैं 400 सिलेंडर
जानकारी के मुताबिक रोज अस्पताल में 400 सिलेंडर बाहर से मांगवाई जाती है. इसके लिए महीने में 18 से 20 लाख रुपए का भुगतान किया जाता है. इस हिसाब से एक साल में 1 करोड़ से ज्यादा का खर्च अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडर आपूर्ति के लिए किया जाता है. अस्पताल में ऑक्सीजन सिलिंडर लाने ले जाने वाले मजदूर बताते हैं कि करोड़ों रुपए का मशीन प्लांट के अंदर धूल खा रहा है, इसके बावजूद यहां ऑक्सीजन का निर्माण नहीं हो रहा है.