कुणाल शुक्ला बताते हैं कि शिक्षा विभाग ने लिखित में बताया कि 2020, 2021, 2022, 2023 और 2024 में अधिनियम के तहत एक भी कार्रवाई नहीं हुई. इस अधिनियम को निजी स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए लाया गया था. मनमानी स्कूल फीस, ड्रेस और पाठ्यपुस्तक के नाम पर पालक लूटे जा रहे हैं, लेकिन कार्रवाई नहीं हो रही है.
सामाजिक कार्यकर्ता बताते हैं कि हमारे पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर में निजी स्कूलों की वसूली पर लगभग 500 करोड़ रुपए की कार्रवाई हुई है, ठीक वैसे ही नियम छत्तीसगढ़ में लागू है, लेकिन यहां कार्रवाई नहीं हो रही है. इस पर वे शिक्षा विभाग से सवाल करते हैं कि निजी स्कूलों से शिक्षा विभाग का क्या समझौता हुआ है?