केंद्र सरकार ने 21 जून 2024 को पब्लिक एग्जामिनेशन (प्रिवेंशन ऑफ अनफेयर मीन्स) एक्ट 2024 के प्रावधान लागू कर दिए हैं. केंद्र सरकार शुक्रवार को इस संबंध में एक अधिसूचना जारी की. यह कानून फरवरी 2024 में पारित हो गया था.
इसी साल फरवरी में एंटी-पेपर लीक लॉ अस्तित्व में आया था. पब्लिक एग्जामिनेशन (प्रिवेंशन ऑफ अनफेयर मीन्स) एक्ट 2024 नाम से इस लॉ को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दी थी. कानून लाने के पीछे मकसद है कि जितने भी बड़े सार्वजनिक एग्जाम हो रहे हैं, उनमें ज्यादा पारदर्शिता रहे. साथ ही युवा आश्वस्त रहें कि कोई गड़बड़ी नहीं होने पाएगी.
यह कानून एक के बाद एक परीक्षाओं, जैसे राजस्थान में शिक्षक भर्ती परीक्षा, हरियाणा में ग्रुप-डी पदों के लिए सामान्य पात्रता परीक्षा (सीईटी), गुजरात में जूनियर क्लर्क के लिए भर्ती और बिहार में कांस्टेबल भर्ती परीक्षा सहित कई हालिया पेपर लीक्स को देखते हुए लाया गया था.
एंटी-पेपर लीक लॉ पब्लिक एग्जाम की बात करता है. यह वो परीक्षा है, जिसे पब्लिक एग्जामिनेशन अथॉरिटी आयोजित करवाती है, या फिर ऐसी अथॉरिटी जिसे केंद्र से मान्यता मिली हुई है. इसमें कई बड़ी परीक्षाएं शाामिल हैं, जैसे यूपीएससी, एसएससी, इंडियन रेलवेज, बैंकिंग रिक्रूटमेंट, और एनटीए द्वारा आयोजित सारे कंप्यूटर-बेस्ट एग्जाम.
इस कानून के तहत क्वेश्चन पेपर या आंसर का लीक होना जो किसी भी तरह से परीक्षार्थी की मदद कर सके, अपराध है. इसके अलावा कंप्यूटर नेटवर्क के साथ छेड़खानी भी जुर्म है, जिससे पेपर की जानकारी पहले से मिल जाए.
ऐसा अपराध चाहे एक पूरा ग्रुप करे, या फिर एक व्यक्ति या संस्था, इसे क्राइम की श्रेणी में ही रखा जाएगा. पैसों के फायदे के लिए फेक वेबसाइट बनाना या फिर फेक एग्जाम कंडक्ट कराना भी इस लॉ में आता है. कई बार अपराधी सीधे पेपर लीक नहीं करते, बल्कि दूसरी तरह की हेराफेरी करते हैं, जिससे उनके परीक्षार्थी को फायदा हो. ये भी एंटी लीक में शामिल है.