रायपुर। भाजपा सरकार की लापरवाही के कारण अनुसूचित जाति और जनजाति के कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण के लाभ से वंचित होना पड़ा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि उच्च न्यायालय ने पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार द्वारा आरक्षण के संबंधों में 22 और 30 अक्टूबर 2019 को एक अधिसूचना जारी किया था जिसमें प्रमोशन का कोटा निर्धारित किया था जिसमें वर्ग 1 से वर्ग 4 तक के अनुसूचित जाति के कर्मचारियों को 13 प्रतिशत तथा अनुसूचित जनजाति कर्मचारियों को 32 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया था। जिसके विरोध कुछ लोगों ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका लगाई थी लेकिन वर्तमान भाजपा की साय सरकार ने इस मामले में आरक्षण के संबंध में सही तथ्य अदालत के सामने नहीं रखे जिसके कारण अदालत ने कांग्रेस सरकार के समय जारी अधिसूचना को रद्द कर दिया और अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के कर्मचारियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। साय सरकार की लापरवाही से हाईकोर्ट में अनुसूचित जाति, जनजाति का पदोन्नति में आरक्षण रूका।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी वंचित वर्गो के आरक्षण की विरोधी है उसे जब-जब अवसर मिलता है वह आरक्षण को समाप्त करने का षड़यंत्र करती है। कांग्रेस के भूपेश सरकार ने छत्तीसगढ़ के सर्व समाज के लिये उनकी आबादी के अनुपात में आरक्षण की व्यवस्था किया था इसके लिये विधानसभा से आरक्षण संशोधन विधेयक सर्व सम्मति से पारित करवाया था जिसमें अनुसूचित जाति के लिये 13 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति के लिये 32 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग के लिये 27 प्रतिशत तथा अनारक्षित वर्ग के गरीबों के लिये 4 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था है। भाजपा ने इस आरक्षण विधेयक को 17 महीने राजभवन में रोकवा कर रखा है। प्रदेश में भाजपा की डबल इंजन की सरकार है, आरक्षण विधेयक को राजभवन में रोके रहने का कोई कारण नहीं है। भाजपा यदि आरक्षित वर्ग को उनका हक देना चाहती तो अभी तक वंचित वर्गों को उनका आरक्षण का अधिकार मिलना शुरू हो गया होता।